2 शमूएल की पुस्तक से मुख्य बिंदु: दाऊद की कहानी, परमेश्वर की वाचा और महत्वपूर्ण शिक्षाएँ
1. दाऊद का राज्याभिषेक और विजय
दाऊद का राजा बनना : दाऊद को यहूदा का राजा अभिषिक्त किया जाता है (2 शमूएल 2) और बाद में पूरे इस्राएल का राजा (2 शमूएल 5)।
यरूशलेम को राजधानी बनाना : दाऊद यरूशलेम को जीतता है और इसे इस्राएल का राजनीतिक और धार्मिक केंद्र स्थापित करता है (2 शमूएल 5:6-10)।
दाऊद की सैन्य विजय : दाऊद इस्राएल को कई सैन्य विजयों की ओर ले जाता है, राज्य का विस्तार करता है और उसकी सीमाओं को सुरक्षित करता है (2 शमूएल 8)।
2. दाऊद के साथ परमेश्वर की वाचा
दाऊदिक वाचा: 2 शमूएल 7 में, परमेश्वर दाऊद के साथ एक वाचा करता है, जिसमें यह वादा करता है कि उसकी वंशावली हमेशा के लिए बनी रहेगी और उसका राज्य सदा स्थापित रहेगा। यह वाचा मसीही अपेक्षाओं के लिए आधारभूत है।
3. दाऊद की व्यक्तिगत असफलताएँ और उनके परिणाम.
दाऊद और बतशेबा: दाऊद बतशेबा के साथ व्यभिचार करता है और उसके पति उरिय्याह को मरवा देता है (2 शमूएल 11)। यह घटना दाऊद के जीवन में गंभीर परिणाम लाती है।
नातान की फटकार: नबी नातान दाऊद को उसकी पाप की गंभीरता का अहसास कराता है और परमेश्वर की ओर से दंड की भविष्यवाणी करता है (2 शमूएल 12)।
पारिवारिक समस्याएँ: दाऊद के पापों के कारण उसके परिवार में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि उसके बेटे अम्नोन द्वारा तामार का बलात्कार (2 शमूएल 13), अबशालोम का विद्रोह (2 शमूएल 15-18) और शेबा का विद्रोह (2 शमूएल 20)।
4. दाऊद का पश्चाताप और पुनर्स्थापन
दाऊद का पश्चाताप: अपने पापों का एहसास होने पर, दाऊद पश्चाताप करता है और परमेश्वर की दया प्राप्त करता है। उसका पश्चाताप 2 शमूएल 12 और भजनों में देखा जा सकता है (भजन 51)।
राज्य की पुनर्स्थापना: अबशालोम के विद्रोह के बाद, दाऊद अपने राज्य को पुनर्स्थापित करता है और अपनी प्रजा के प्रति न्याय और दया दिखाता है (2 शमूएल 19)।
5. दाऊद के अंतिम दिन और उत्तराधिकार
दाऊद की अंतिम युद्ध: दाऊद के अंतिम युद्ध और वीरता के कृत्यों का वर्णन (2 शमूएल 21)।
शाऊल और दाऊद के वीरों की सूचियाँ: दाऊद के सेनानायकों और उनके वीरता के कृत्यों की सूची (2 शमूएल 23)।
राज्य का उत्तराधिकारी: दाऊद के अंतिम दिनों में, उसके बेटे सुलैमान को उसका उत्तराधिकारी चुना जाता है, जो आगे चलकर इस्राएल का अगला राजा बनता है (1 राजा 1-2)।