1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
योना की पुस्तक बाइबल की एक विशेष भविष्यद्वक्ता पुस्तक है, क्योंकि इसमें मुख्य रूप से योना की कहानी कही गई है, बजाय केवल भविष्यवाणियों के। यह परमेश्वर की दया और न्याय दोनों को प्रकट करती है। योना को निनवे (असीरियन साम्राज्य की राजधानी) में प्रचार करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह भाग गया, और अंततः एक बड़ी मछली द्वारा निगल लिया गया। तीन दिन बाद, वह मछली से बाहर निकला और परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया।
लेखक:
भविष्यवक्ता योना (2 राजा 14:25)
लिखने का समय:
लगभग 760-750 ईसा पूर्व (यरोबाम द्वितीय के शासनकाल में)
ऐतिहासिक संदर्भ:
योना एक इस्राएली भविष्यद्वक्ता था जिसे परमेश्वर ने निनवे (असीरिया की राजधानी) में प्रचार करने के लिए बुलाया। असीरिया इस्राएल का शत्रु था, इसलिए योना ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया और तरशीश की ओर भाग गया।
2️ मुख्य विषय (Themes of Jonah)
परमेश्वर की असीम दया – वह न केवल इस्राएल के लिए बल्कि अन्य जातियों के लिए भी दयालु है।
आज्ञाकारिता और विद्रोह – योना ने परमेश्वर की आज्ञा को पहले अस्वीकार किया, लेकिन अंत में उसका पालन किया।
पश्चाताप और उद्धार – जब निनवे के लोगों ने पश्चाताप किया, तो परमेश्वर ने उन्हें क्षमा कर दिया।
परमेश्वर की सार्वभौमिकता – परमेश्वर पूरे संसार का राजा है, न कि केवल इस्राएल का।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Jonah)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | योना का परमेश्वर की आज्ञा से भागना | 1 |
भाग 2 | योना का मछली के पेट में रहना और प्रार्थना | 2 |
भाग 3 | योना का निनवे में प्रचार करना और लोगों का पश्चाताप | 3 |
भाग 4 | योना की नाराजगी और परमेश्वर का उत्तर | 4 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Jonah)
योना 1:3 – “परन्तु योना यहोवा के सम्मुख से भागने को उठा।”
योना 2:1-2 – “तब योना ने मछली के पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की।”
योना 3:10 – “जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा कि उन्होंने अपनी बुरी चाल से फिरना किया, तब परमेश्वर ने अपनी उस विपत्ति से जो उसने उन पर लाने को कहा था, पछताया और वह न लाई।”
योना 4:2 – “मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, जो क्रोध करने में धीमा और असीम प्रेम से भरपूर है।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Jonah)
परमेश्वर से भागना व्यर्थ है।
परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनता और उत्तर देता है।
परमेश्वर की दया सबके लिए है, न केवल इस्राएल के लिए।
हमारी इच्छाएँ परमेश्वर की इच्छा से मेल खानी चाहिए।
सच्चा पश्चाताप परमेश्वर के न्याय को रोक सकता है।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Jonah)
योना मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात रहा (योना 1:17) – यीशु ने इसे अपने मरे हुओं में से पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में उद्धृत किया (मत्ती 12:40)।
निनवे के लोग पश्चाताप करते हैं, लेकिन योना अप्रसन्न रहता है – यीशु ने कहा कि निनवे के लोग न्याय के दिन दूसरों के लिए गवाही देंगे (मत्ती 12:41)।
योना को मछली से बाहर निकाला गया – यह यीशु के पुनरुत्थान का संकेत देता है।
परमेश्वर की दया सभी लोगों के लिए है – यह सुसमाचार के संदेश का एक केंद्रीय सत्य है।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
योना की पुस्तक परमेश्वर की सार्वभौमिक दया, पश्चाताप की शक्ति और आज्ञाकारिता के महत्व को सिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर का प्रेम उन लोगों के लिए भी है जिन्हें हम शत्रु मानते हैं।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ योना ने निनवे जाने से क्यों इनकार किया?
2️ योना की मछली में तीन दिन रहने की घटना का क्या अर्थ है?
3️ परमेश्वर ने निनवे के लोगों को क्यों क्षमा किया?
4️ योना की पुस्तक हमें आत्मिक दृष्टि से क्या सिखाती है?