2 कुरिन्थियों की पुस्तक का सर्वेक्षण (Survey of the Book of 2 Corinthians)

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1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)

2 कुरिन्थियों की पुस्तक पौलुस द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया को लिखी गई दूसरी पत्री है। इसमें वह अपनी सेवकाई का बचाव करते हैं, मसीही जीवन में आने वाले कष्टों और उनके उद्देश्य की व्याख्या करते हैं, और कलीसिया को उदारता और आत्मिक दृढ़ता के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

📌 लेखक:

✅ पौलुस प्रेरित (2 कुरिन्थियों 1:1)

📌 लिखने का समय:

✅ लगभग 55-57 ईस्वी (मकिदुनिया में रहते हुए लिखा गया)

📌 मुख्य उद्देश्य:

✅ कुरिन्थ की कलीसिया में अपने प्रेरितिक अधिकार की रक्षा करना।
✅ विश्वासियों को यह सिखाना कि परमेश्वर हमें कठिनाइयों के माध्यम से मजबूत बनाता है।
✅ कलीसिया को दानशीलता और उदारता के लिए प्रोत्साहित करना।
✅ आत्मिक युद्ध और परमेश्वर की महिमा में जीने की प्रेरणा देना।


2️ मुख्य विषय (Themes of 2 Corinthians)

✅ सांत्वना और कष्ट में परमेश्वर की शक्ति।
✅ मसीही सेवकाई का मूल्य और बलिदान।
✅ नई वाचा और आत्मिक स्वतंत्रता।
✅ उदारता और कलीसिया में दानशीलता का महत्व।
✅ आत्मिक युद्ध और परमेश्वर के हथियारों की शक्ति।


3️ पुस्तक की संरचना (Outline of 2 Corinthians)

खंड

विवरण

अध्याय

भाग 1

सांत्वना और कष्टों में परमेश्वर की योजना

1-2

भाग 2

मसीही सेवकाई का सिद्धांत और बलिदान

3-7

भाग 3

उदारता और भलाई के लिए प्रेरणा

8-9

भाग 4

पौलुस का प्रेरितिक बचाव और आत्मिक युद्ध

10-13


4️ प्रमुख शिक्षाएँ और शिक्षाएँ (Key Teachings in 2 Corinthians)

📍 2 कुरिन्थियों 1:3-4 – “परमेश्वर हमारी सभी विपत्तियों में हमें शांति और सांत्वना देता है।”
📍 2 कुरिन्थियों 3:17 – “जहाँ प्रभु का आत्मा है, वहाँ स्वतंत्रता है।”
📍 2 कुरिन्थियों 4:7 – “हम यह खज़ाना मिट्टी के बर्तनों में रखते हैं, ताकि यह शक्ति परमेश्वर की हो, हमारी नहीं।”
📍 2 कुरिन्थियों 5:7 – “हम देखने से नहीं, परन्तु विश्वास से चलते हैं।”
📍 2 कुरिन्थियों 5:17 – “जो कोई मसीह में है, वह नई सृष्टि है।”
📍 2 कुरिन्थियों 9:7 – “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दे, न कुड़कुड़ाकर और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्षित दाता से प्रेम करता है।”
📍 2 कुरिन्थियों 10:4 – “हमारे लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, परन्तु परमेश्वर के द्वारा गढ़ों को ढाने के लिए सामर्थी हैं।”
📍 2 कुरिन्थियों 12:9 – “मेरा अनुग्रह तेरे लिए पर्याप्त है, क्योंकि मेरी शक्ति निर्बलता में सिद्ध होती है।”


5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from 2 Corinthians)

✅ परमेश्वर हमें कठिनाइयों में सांत्वना देता है ताकि हम दूसरों को सांत्वना दे सकें।
✅ मसीह में हम एक नई सृष्टि हैं, और हमें आत्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
✅ सच्ची सेवकाई बलिदान और नम्रता से परिपूर्ण होती है।
✅ दानशीलता और उदारता से हम परमेश्वर की महिमा प्रकट कर सकते हैं।
✅ आत्मिक युद्ध में हमें परमेश्वर के हथियारों से लड़ना चाहिए।


6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in 2 Corinthians)

🔹 पौलुस प्रेरितइस पत्री के लेखक और आत्मिक मार्गदर्शक।
🔹 कुरिन्थ की कलीसियाजिन्हें यह पत्र लिखा गया, जो आत्मिक संघर्ष और विभाजन से जूझ रहे थे।
🔹 मसीह यीशुउद्धार, सांत्वना और आत्मिक सामर्थ्य का स्रोत।


7️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in 2 Corinthians)

📍 2 कुरिन्थियों 1:20 – “परमेश्वर की सारी प्रतिज्ञाएँ मसीह में हाँहुई हैं।”
📍 2 कुरिन्थियों 3:6 – “मसीह नई वाचा का मध्यस्थ है।”
📍 2 कुरिन्थियों 5:21 – “मसीह जो पापरहित था, हमारे लिए पाप ठहराया गया, ताकि हम उसमें परमेश्वर की धार्मिकता बनें।”


8️ निष्कर्ष (Conclusion)

2 कुरिन्थियों की पुस्तक हमें सिखाती है कि मसीही जीवन में कष्ट और संघर्ष आते हैं, लेकिन परमेश्वर की शक्ति और अनुग्रह हमें इनसे निकलने में सहायता देता है। यह हमें आत्मिक स्वतंत्रता, सच्ची सेवकाई, और मसीही जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है।


🔎 अध्ययन प्रश्न (Study Questions)

1️ 2 कुरिन्थियों 1:3-4 में परमेश्वर की सांत्वना के बारे में क्या कहा गया है?
2️
 आत्मिक स्वतंत्रता और नई सृष्टि का क्या अर्थ है? (2 कुरिन्थियों 5:17)
3️
 दानशीलता और उदारता पर 2 कुरिन्थियों 9 में क्या शिक्षा दी गई है?
4️
 2 कुरिन्थियों 12:9 में परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में क्या कहा गया है? 

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