पवित्र शास्त्र बाइबिल की प्रथम पुस्तक उत्पति में हमें परमेश्वर के द्वारा सारी श्रृष्टि और मानव जाती के अस्तित्व में आने का विवरण मिलता है। किस प्रकार सब कुछ सृजा गया How was the first human made ये प्रक्रिया बाइबिल बताती है लेकिन कितने वर्ष पूर्व या किस समय सृजा गया ये बाइबिल नहीं बताती। इस पुस्तक के लिखे जाने समय लगभग २००० से २५०० ई.पू. है। इस पुस्तक को पढने से ये पता नहीं लगता की किस समय पर मानव जाती की शुरुआत हुई इसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है क्योंकि लिखा है आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की श्रृष्टि की (उत्पति १:१ )
बाइबिल की प्रथम पुस्तक उत्पति अध्याय १ में परमेश्वर ने पृथ्वी का सृजन किया और जब जीव जंतु पेड़ पौधे और सब कुछ बना दिया तब परमेश्वर ने मनुष्य को बनाने का विचार किया और परमेश्वर ने ये कहा “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएँ” (उत्पत्ति 1:26) जिसका अर्थ है मनुष्य में परमेश्वर ने वो सारे गुण डाले जो खुद परमेश्वर के पास हैं। जैसे बुद्धि, प्रेम, दया, करुणा और सृजन करने की क्षमता आदि। बाइबिल बताती हैं परमेश्वर ने मनुष्य को खुद से थोडा ही कम बनाया है (भजन संहिता ८:५) जिसका अर्थ है परमेश्वर ने उनके बाद दुसरे दर्जे पर मनुष्य को रखा है और उसके बाद बाकि सब प्राणी और श्रृष्टि। इस लिहाज़ से मनुष्य जाती परमेश्वर के लिए अत्यंत प्रिय और मूल्यवान है।
इसके बाद उत्पत्ति अध्याय 2:7 में हम पढ़ते हैं “परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।” परमेश्वर ने अन्य जितने जीव बनाये उनमें से किसी के विषय में भी ऐसा विवरण नहीं मिलता की परमेश्वर ने उनमें जीवन का श्वास फूंक दिया। यहाँ जीवन का श्वास के लिए इब्रानी भाषा का जो शब्द प्रयोग किया गया है वह है “ḥay·yîm” जिसका अर्थ है परमेश्वर के आत्मा का अंश जो जीवन का कर्ता है। सारी श्रृष्टि में केवल मानव जाती के पास परमेश्वर के आत्मा का अंश है।
- अन्य जीवों में शरीर है, प्राण है पर स्वयं परमेश्वर के आत्मा का अंश नहीं है, किन्तु मनुष्य के पास है। इसिलिय केवल मनुष्य ही परमेश्वर की खोज करता है, जीव जंतु नहीं।
मनुष्य जाती को जो अन्य सभी जीवों से ख़ास और भिन्न बनाता है वह है
१. परमेश्वर के खुदके स्वरुप और समानता में बनाया जाना
२. परमेश्वर के आत्मा का अंश मानव जाती के पास आत्मा के तौर पर होना
3. केवल मानव जाती के पास बुद्धि, सोचने समझने की क्षमता और अपने चुनाव खुद करने की आज़ादी है।
बाइबिल बताती है परमेश्वर प्रेम है, (1 युहन्ना 4:16) और परमेश्वर अपने लिए ऐसे आराधकों को चाहते हैं जो संपूर्ण दिल से, आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करें, और उनसे प्रेम करें (युहन्ना ४:२४)। इसीलिए परमेश्वर ने मानव जाती को अपने नियंत्रण में नहीं रखा बल्कि खुद सोचने समझने और अपने निर्णय खुद लेने की आज़ादी दी। यदि परमेश्वर मनुष्य की बुद्धि को अपने नियंत्रण में रखें या उसके चुनाव में हस्तक्षेप करें तो मनुष्य का प्रेम और उसकी परमेश्वर के प्रति भावनाएं सच्ची नहीं होंगी।
वास्तव में परमेश्वर ने मनुष्य या प्रथम आदम को (Adam the first human made by God) पवित्र, निष्पाप और महिमा से भरा हुआ बनाया था। कोई बीमारी नहीं थी, मृत्यु नहीं थी, कोई दुःख और कष्ट नहीं था। और यही दशा सदा के लिए रहने वाली थी लेकिन इसे पाने के लिए प्रथम मनुष्य यानी आदम को एक परीक्षा देनी थी और वह परीक्षा थी स्वतन्त्र इच्छा से परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बने रहने की परीक्षा। इसका विवरण हमें उत्पति अध्याय २ से ५ तक मिलता है। दुर्भाग्यवश आदम इस परीक्षा में सफल नहीं हो सका जिसके परिणाम स्वरूप प्रथम आदम के द्वारा सारी मानव जाती में मृत्यु का श्राप फ़ैल गया।
परमेश्वर मानव जाती से बेहद प्रेम रखते हैं इसलिए उन्होंने मनुष्य जाती को इस श्राप में पड़े नहीं रहने दिया और एक पवित्र मसीहा यानी उद्धारकर्ता को संसार में भेजा। ये मसीहा था प्रभु यीशु मसीह। यीशु मसीह संसार में आये और वोही सब परीक्षा दी जिनमे प्रथम आदम विफल हो गया था लेकिन यीशु विफल नहीं हुये। एक पाप रहित जीवन जिया जो पुर्णतः परमेश्वर पिता की और माता पिता की आज्ञाकारिता में था। इस प्रकार यीशु ने आदर्श जीवन जीकर अपने आप को मानव जाती के समस्त पापों के बदले एक पवित्र बलिदान और प्रायश्चित के रूप में दे दिया ताकि जो कोई उनपर विश्वास करे उसे उसके पापो में माफ़ी मिल जाये और वह परमेश्वर के साथ अनंतकाल के लिए स्वर्ग में रहे नाकि पापों की सज़ा के रूप में अनंतकाल के नर्क में।
पवित्र शास्त्र में मानव जाती की उत्पति और उद्धार से सम्बंधित आयतों को पढने के लिए इस लिंक पर जाएँ। Bible Verses on How was the First Human Made