प्रकाशितवाक्य पुस्तक का परिचय और विवरण

परिचय

प्रकाशितवाक्य का पुस्तक उस समय लिखी गई जब मसीहियों को उनके विश्वास के कारण कड़े उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। यीशु मसीह पर प्रभु और स्वामी के रूप में विश्वास करने के कारण उन्हें सताया जा रहा था। इसके लेखक की चिंता का प्रमुख विषय अपने पाठकों में आशा और उत्साह का संचार करना और उनसे यह आग्रह करना था कि वे दुःख और सतावट के समय विश्वासयोग्य बने रहें।

इस पुस्तक का अधिकांश भाग प्रकाशनों और दर्शनों की श्रृंखलाओं के रूप में है, जिसे प्रतीकात्मक भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो स्पष्टतः उस समय के मसीहियों को समझ में आ गई थी। परंतु अन्य सभी लोगों के लिए यह रहस्य ही रहा। जैसे संगीत में एक धुन होती है, उसी प्रकार इस पुस्तक की विषय-वस्तु बार-बार विभिन्न तरीकों से अलग-अलग दर्शनों की श्रृंखलाओं के द्वारा दोहराई जाती है। यद्यपि इस पुस्तक की विस्तृत व्याख्या के सम्बन्ध में मतभेद है, फिर भी प्रमुख विषय स्पष्ट है – परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अपने सारे शत्रुओं को, जिनमें शैतान भी सम्मिलित है, सदा के लिये पूर्ण रूप से पराजित करेगा; और जब यह विजय पूरी हो जाएगी तो वह अपने विश्वासयोग्य लोगों को नया आकाश और नई पृथ्वी की आशीषों से परिपूर्ण करेगा।


लेखक और लिखने का समय

पुस्तक के लेखक प्रेरित यूहन्ना हैं। इसे लिखने की पुष्टि प्रकाशितवाक्य 1:1, 4, 9 और 22:8 में की गई है। यह पुस्तक लगभग ईसा पश्चात 90-95 के बीच लिखी गई थी, जब यूहन्ना पतमोस द्वीप पर निर्वासन में थे।


मुख्य पद

  1. प्रकाशितवाक्य 1:19 – “इसलिये जो बातें तू ने देखी हैं और जो बातें हैं और जो बातें आगे होनेवाली हैं, उन्हें लिख ले।”
  2. प्रकाशितवाक्य 13:16-17 – “और वह सब को, छोटे और बड़े, धनी और कंगाल, स्वतंत्र और दास, सब के दाहिने हाथ या माथे पर एक छाप लगवाता है, ताकि वह कोई भी खरीद-बिक्री न कर सके, जब तक वह छाप न ले, जो पशु का नाम या उसके नाम का अंक है।”
  3. प्रकाशितवाक्य 19:11 – “फिर मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा, और वहाँ एक श्वेत घोड़ा था। उसका सवार ‘विश्वासयोग्य’ और ‘सत्य’ कहलाता है। वह न्याय से न्याय और युद्ध करता है।”
  4. प्रकाशितवाक्य 21:1 – “फिर मैंने एक नया आकाश और नई पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही और समुद्र भी अब न रहा।”

इस पुस्तक से हमें क्या सीखने को मिलता है?

  1. आशा और धैर्य का पाठ: प्रकाशितवाक्य हमें दिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, परमेश्वर अपने वफादार लोगों के लिए विजयी होंगे।
  2. अंतिम न्याय: यह पुस्तक हमें याद दिलाती है कि हर व्यक्ति को न्याय के दिन अपने कार्यों का हिसाब देना होगा।
  3. नई सृष्टि की आशा: यह पुस्तक स्वर्ग और नई पृथ्वी के वादे पर विश्वास को मजबूत करती है, जहां कोई दुख, मृत्यु और पाप नहीं होगा।
  4. शैतान की पराजय: यह सुनिश्चित करता है कि बुराई की अंतिम हार निश्चित है, और मसीह की विजय स्थायी है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  1. संदेश प्रतीकात्मक है: इस पुस्तक की भाषा और प्रतीक वाचक होते हुए भी यह गहरे सत्य प्रकट करते हैं। इसे समझने के लिए हमें प्रार्थना और पवित्र आत्मा की सहायता की आवश्यकता है।
  2. यह अंतिम चेतावनी है: यह पुस्तक हमें याद दिलाती है कि दुनिया का अंत निश्चित है, और हमें अपने जीवन को पवित्रता में बिताने की आवश्यकता है।
  3. सुसमाचार साझा करें: यह पुस्तक हमें प्रेरित करती है कि हम अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मसीह की ओर लाएं ताकि वे भी अनंत आशीषों में सहभागी हो सकें।
  4. वफादार बने रहें: यह हमें प्रोत्साहित करती है कि कठिन समय में भी अपने विश्वास में डटे रहें और प्रभु पर भरोसा रखें।

निष्कर्ष:
प्रकाशितवाक्य पुस्तक हमें विश्वास, धैर्य और प्रभु यीशु मसीह के प्रति वफादारी का पाठ पढ़ाती है। यह पुस्तक न केवल हमें आने वाले समय की झलक देती है बल्कि यह हमारे वर्तमान जीवन में भी आशा और प्रोत्साहन प्रदान करती है।

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