यीशु मसीह का जन्म और परिवार
मसीह का जन्म
मरियम (Mary) और यूसुफ (Joseph) – यीशु मसीह का जन्म कुमारी मरियम से हुआ, जो परमेश्वर की योजना के अनुसार पवित्र आत्मा से गर्भवती हुईं।
मत्ती 1:18 – “यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ: जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ से हो चुकी थी, तो उनके एक साथ आने से पहले ही वह पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भवती पाई गई।”
बेतलेहेम में जन्म
लूका 2:4-7 – “और यूसुफ भी गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बेतलेहेम को गया… और वहाँ मरियम ने अपने पहलौठे पुत्र को जन्म दिया।”
यीशु मसीह के पारिवारिक सदस्य
माता-पिता और भाई-बहनें
मरियम (Mary) – उनकी माँ
लूका 1:28 – “स्वर्गदूत ने उसके पास जाकर कहा, ‘हे अनुग्रह से परिपूर्ण, प्रणाम! प्रभु तेरे साथ है।’”
यूसुफ (Joseph) – सांसारिक पिता
मत्ती 1:20 – “हे यूसुफ, दाऊद की संतान, तू मरियम को अपनी पत्नी बनाने से मत डर, क्योंकि जो कुछ उसमें गर्भधारण हुआ है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।”
यीशु के भाई-बहन
मत्ती 13:55-56 – “क्या यह बढ़ई का पुत्र नहीं है? और क्या इसकी माता मरियम नहीं कहलाती? और इसके भाई याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं हैं? और इसकी बहनें भी क्या सब हमारे साथ नहीं हैं?”
यीशु के ज्ञात भाई:
- याकूब (James) – यरूशलेम की कलीसिया के अगुआ और “याकूब की पत्री” के लेखक।
- यूसुफ (Joses) – उनके बारे में बहुत कम जानकारी है।
- शमौन (Simon) – एक और भाई जिसका उल्लेख बाइबल में है।
- यहूदा (Jude) – “यहूदा की पत्री” के लेखक।
यूहन्ना 7:5 – “क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे।” (शुरुआत में यीशु के भाई उन पर विश्वास नहीं करते थे, लेकिन बाद में वे उनके अनुयायी बने।)
यीशु मसीह का प्रारंभिक जीवन और व्यवसाय
नासरत में पालन-पोषण
लूका 2:52 – “और यीशु बुद्धि में, और डील-डौल में, और परमेश्वर तथा मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता गया।”
बढ़ई का कार्य (Carpenter’s Work)
मरकुस 6:3 – “क्या यह वही बढ़ई नहीं है?”
यीशु मसीह की सेवकाई और बलिदान
बपतिस्मा और सेवकाई की शुरुआत
मत्ती 3:16-17 – “जब यीशु बपतिस्मा लेकर जल से ऊपर आया, तो स्वर्ग खुल गया… और यह वाणी सुनाई दी, ‘यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्न हूँ।’”
शिक्षा और चमत्कार
यूहन्ना 2:11 – “यीशु ने गलील के काना में जल को दाखरस में बदलकर अपनी महिमा प्रकट की।”
क्रूस पर बलिदान और पुनरुत्थान
लूका 23:46 – “यीशु ने ऊँचे शब्द से पुकार कर कहा, ‘हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।’”
लूका 24:6 – “वह यहाँ नहीं है, परन्तु जी उठा है!”
यीशु मसीह और उनका आत्मिक परिवार
यीशु ने अपने अनुयायियों को परिवार कहा
मत्ती 12:49-50 – “जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है, वही मेरा भाई, बहन और माता है।”
विश्वासियों के लिए यीशु का वचन
यूहन्ना 14:2-3 – “मेरे पिता के घर में बहुत से निवास स्थान हैं… मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ।”
निष्कर्ष
यीशु मसीह का जीवन और परिवार हमें सिखाता है कि वह साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण उद्देश्य को पूरा करने आए। उनके परिवार के सदस्य भी इस योजना का हिस्सा बने। आज, हम भी उनके आत्मिक परिवार में शामिल होकर परमेश्वर की संतान बन सकते हैं।
क्या आप यीशु मसीह को अपने जीवन का मार्गदर्शक बनाना चाहेंगे?
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