मत्ती रचित सुसमाचार – अध्याय 1

यीशु की वंशावली 

मत्ती 1 का सारांश और सर्वेक्षण:

सारांश:
मत्ती 1 अध्याय मसीह (यीशु) की वंशावली और उसके जन्म की घटनाओं का वर्णन करता है। यह यहूदी पाठकों के लिए यीशु को अब्राहम और दाऊद के वंशज के रूप में स्थापित करता है, जिससे उसकी मसीही पहचान और दावों की पुष्टि होती है।

1. यीशु की वंशावली (पद 1-17):
– यह वंशावली अब्राहम से शुरू होती है और दाऊद के माध्यम से होती हुई यीशु तक पहुँचती है। यह तीन चौदह-पीढ़ियों में विभाजित की गई है:
– अब्राहम से दाऊद तक।
– दाऊद से बाबुल के निर्वासन तक।
– बाबुल के निर्वासन से मसीह तक।
– इस वंशावली में यीशु के पिता, यूसुफ के माध्यम से उसकी दाविदिक वंशावली की पुष्टि की गई है।

2. यीशु का जन्म (पद 18-25):
यीशु का जन्म इस प्रकार हुआ: उसकी माता मरियम, जो यूसुफ के साथ विवाह-सूचित थी, पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भवती हुई। यूसुफ ने उसे गुप्त रूप से त्यागने का विचार किया, लेकिन एक स्वर्गदूत ने उसे स्वप्न में प्रकट होकर मरियम को अपने पास रखने और उसका पति बनने के लिए प्रेरित किया।
स्वर्गदूत ने यह भी बताया कि मरियम का पुत्र लोगों के पापों से उद्धार करेगा और उसका नाम यीशु रखा जाएगा, जो “यहोवा उद्धार है” का अर्थ है।

यह सब इसलिए हुआ कि यशायाह भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी पूरी हो, जो कहती है कि “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और वे उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे,” जिसका अर्थ है “ईश्वर हमारे साथ”।

यूसुफ ने स्वप्न के अनुसार कार्य किया, मरियम को अपने पास रखा, और जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दिया, उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उसने पुत्र का नाम यीशु रखा।

सर्वेक्षण:
1. वंशावली (पद 1-17):
– यीशु की वंशावली को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है, जो अब्राहम से दाऊद, दाऊद से बाबुल के निर्वासन, और निर्वासन से मसीह तक जाती है।
– यह वंशावली यह दर्शाती है कि यीशु का जन्म ईश्वर की योजना का हिस्सा था और वह अब्राहम और दाऊद की वंशानुगत वादों का पूरा करने वाला है।

2. यीशु का जन्म (पद 18-25):
– मत्ती यह स्पष्ट करता है कि यीशु का जन्म एक चमत्कारी घटना थी, जिसमें पवित्र आत्मा की शक्ति से मरियम गर्भवती हुई।
– यूसुफ की भूमिका में उसकी धार्मिकता और विश्वास का प्रदर्शन होता है, क्योंकि उसने स्वर्गदूत के निर्देशों का पालन किया और मरियम को स्वीकार किया।
– यीशु का नाम और उसका अर्थ यह दर्शाता है कि उसका उद्देश्य मानवता को उनके पापों से उद्धार करना है।
– यशायाह की भविष्यवाणी का उद्धरण यीशु की दिव्यता और उसके पृथ्वी पर आने के उद्देश्य की पुष्टि करता है।

इस अध्याय में, मत्ती यीशु की वंशावली और उसके चमत्कारी जन्म के माध्यम से यहूदी पाठकों को यह संदेश देने का प्रयास करता है कि यीशु मसीह वही मसीहा है जिसका वादा पूर्व में अब्राहम और दाऊद को दिया गया था। इस तरह, वह यीशु की मसीही पहचान को स्थापित करता है और भविष्यवाणियों की पूर्ति को दिखाता है।