पवित्र शास्त्र में वचन के प्रकार | Names and Types for the word of God in the Bible

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बाइबल में “शब्द” के विभिन्न प्रकारों को समझना इसके शिक्षाओं की गहराई को जानने और हमारे आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाने में मदद कर सकता है। “लोगोस” के माध्यम से प्रसारित सार्वभौमिक संदेशों से लेकर “रेमा” में संक्षेपित विशेष, व्यक्तिगत रहस्योद्घाटन तक, और “तोरा” के बुनियादी कानूनों तक, प्रत्येक शब्द परमेश्वर के मानवता के साथ संवाद के एक अनूठे दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है। इस लेख में, हम इन विभिन्न शब्दों की जांच करेंगे और यह जानेंगे कि पवित्र शास्त्रों में परमेश्वर का शब्द कैसे समझा गया है।

1. वचन (Word) — Λόγος (Logos) और ῥῆμα (Rhema)

  • Logos: यह परमेश्वर का सम्पूर्ण, शाश्वत और पूर्ण प्रकाशन है। इसका प्रयोग प्रायः यीशु मसीह और परमेश्वर के लिखित वचन (Bible) के लिए किया जाता है।
    उदाहरण: आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1:1)
  • Rhema: यह विशेष परिस्थिति में बोले गए परमेश्वर के व्यक्तिगत, जीवित वचन को दर्शाता है।
    उदाहरण: मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, वरन हर एक वचन (Rhema) से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा” (मत्ती 4:4)

सीख: Logos हमें सम्पूर्ण सत्य देता है; Rhema उस सत्य का व्यक्तिगत अनुप्रयोग है।


2. शास्त्र (Scripture) — γραφή (Graphe)

  • यह परमेश्वर के प्रेरित लिखित वचन को दर्शाता है। बाइबल की प्रत्येक आयत परमेश्वर-प्रेरित है।
    उदाहरण: हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और शिक्षा, और समझाने, और सुधारने, और धर्म में प्रशिक्षित करने के लिये लाभदायक है” (2 तीमुथियुस 3:16)

सीख: शास्त्र हमारे विश्वास और आचरण का अंतिम मापदंड है।


3. व्यवस्था (Law) — תּוֹרָה (Torah)

  • तोरा” का अर्थ है “शिक्षा” या “निर्देश”। पुराने नियम में यह मूसा की व्यवस्था के लिए प्रयुक्त होती है, पर यह सिद्धांत और आज्ञाओं के रूप में परमेश्वर के नैतिक मापदंड को दर्शाती है।
    उदाहरण: तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में है” (भजन 40:8)

सीख: व्यवस्था हमें परमेश्वर के पवित्र मानकों से परिचित कराती है और हमें मसीह की आवश्यकता दिखाती है (गलातियों 3:24)


4. गवाही (Testimony)

  • यह परमेश्वर के कार्यों और चरित्र की घोषणा है, जो उसकी विश्वासयोग्यता की याद दिलाती है।
    उदाहरण: तेरी गवाहियाँ भी मेरे मन को बहुत प्रिय हैं” (भजन 119:24)

सीख: गवाही हमें परमेश्वर के अटल चरित्र और उसके पिछले कार्यों पर भरोसा करना सिखाती है।


5. आज्ञा (Commandment)

  • ये परमेश्वर के स्पष्ट निर्देश हैं जिन्हें मानना अनिवार्य है।
    उदाहरण: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे” (यूहन्ना 14:15)

सीख: आज्ञाएँ हमें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलना सिखाती हैं।


6. प्रतिज्ञा (Promise)

  • परमेश्वर के द्वारा कही गई बातें जो निश्चित रूप से पूरी होंगी।
    उदाहरण: क्योंकि जितनी प्रतिज्ञाएँ परमेश्वर की हैं, वे सब उस में ‘हाँ’ हुई हैं” (2 कुरिन्थियों 1:20)

सीख: प्रतिज्ञाएँ हमें कठिनाई में आशा देती हैं और विश्वास को दृढ़ करती हैं।


7. भविष्यवाणी (Prophecy)

  • परमेश्वर का प्रकट किया गया संदेश, जो भविष्य की बातों को भी बता सकता है, लेकिन केवल भविष्य बताने तक सीमित नहीं—यह परमेश्वर की इच्छा और योजना को घोषित करता है।
    उदाहरण: भविष्यद्वाणी की आत्मा यीशु का साक्षी है” (प्रकाशितवाक्य 19:10)

सीख: भविष्यवाणी हमें परमेश्वर की योजना के बारे में सचेत करती है और पवित्र जीवन जीने को प्रेरित करती है।


8. उपदेश (Precept)

  • यह विशेष व्यवहार या कार्य के लिए दिया गया स्पष्ट नियम है।
    उदाहरण: तेरे उपदेश मेरे लिये आनन्द का कारण हैं” (भजन 119:93)

सीख: उपदेश हमारी आत्मिक अनुशासन और आज्ञाकारिता में मदद करते हैं।


9. शिक्षा / सिद्धांत (Doctrine)

  • यह परमेश्वर के वचन से निकाले गए ठोस और व्यवस्थित सिद्धांत हैं।
    उदाहरण: मेरी शिक्षा को न छोड़” (नीतिवचन 4:2)

सीख: सिद्धांत हमारे विश्वास की नींव को दृढ़ करते हैं और झूठी शिक्षाओं से बचाते हैं।


10. सुसमाचार (Gospel)

  • यीशु मसीह के जन्म, मृत्यु, पुनरुत्थान और उद्धार के सन्देश को “सुसमाचार” कहते हैं।
    उदाहरण: मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, क्योंकि वह हर एक विश्वास करनेवाले के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर का सामर्थ्य है” (रोमियों 1:16)

सीख: सुसमाचार परमेश्वर का जीवन देने वाला संदेश है जो हमें पाप से बचाता है।


निष्कर्ष परमेश्वर का वचन बहुआयामी है — यह हमें शिक्षा देता है, अनुशासन में लाता है, भविष्य के लिए तैयार करता है, और हमें यीशु मसीह में स्थिर करता है। एक बाइबल विद्यार्थी के लिए यह आवश्यक है कि वह वचन के सभी प्रकारों को समझे और उन्हें अपने जीवन और सेवकाई में सही तरीके से लागू करे।