पुराने नियम का अवलोकन: संरचना, लेखक और ऐतिहासिक संदर्भ

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पुराने नियम की संरचना

बाइबल के दो भागों में विभाजित किया गया है, पुराना नियम और नया नियम। पुराना नियम, जिसे हिब्रू बाइबिल के रूप में भी जाना जाता है। इसे पारंपरिक रूप से चार मुख्य खंडों में विभाजित किया गया है:

1. कानून (तोरा या पेंटाटूक)

पुराने नियम की पहली पाँच पुस्तकों को तोराह कहा जाता है। उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, व्यवस्थाविवरण। इन पुस्तकों में सृष्टि के निर्माण, कुलपतियों (दल के मुखिया) का विवरण जिनमें अब्राहम, इसहाक, याकूब इत्यादि शामिल हैं। मिस्र से पलायन, परमेश्वर के द्वारा इज़राइल को व्यवस्था दिया जाना और इस्राएल का वादा किए गए देश की यात्रा का विवरण मिलता हैं।

  1. उत्पत्ति: सृष्टि के आरंभ की पुस्तक जिसमे निर्माण, मानवता का प्रारंभिक इतिहास और कुलपति (मुखिया) शामिल हैं।
  2. निर्गमन: मिस्र में इस्राएल की गुलामी, मूसा के द्वारा उनकी आज़ादी और सिनाई पर्वत पर व्यवस्था दिए जाने का विवरण।
  3. लैव्यव्यवस्था: व्यवस्था, नियम और कानूनों का विस्तृत विवरण।
  4. गिनती: जंगल के मार्ग से इस्राएलियों की यात्रा और वादा किए गए देश में प्रवेश करने की उनकी तैयारी का विवरण। 
  5. व्यवस्थाविवरण: वादा किए गए देश में प्रवेश करने से पहले मूसा के भाषण और इस्राएलियों को अंतिम निर्देश।

2. इतिहास की पुस्तकें

इतिहास की पुस्तकों में इस्राइल का इतिहास मिलता है, इनमें यहोशू, न्यायियों, रूत, 1 और 2 शमूएल, 1 और 2 राजा, 1 और 2 इतिहास, एज्रा, नहेमायाह, एस्तेर पुस्तकें सम्मिलित हैं।

  1. यहोशु : वादा किए गए देश पर इस्राएल की विजय और उसका विभाजन।
  2. न्यायियों: इस्राएल में न्यायियों का दौर, पाप, सताव और छुटकारे का विवरण।
  3. रूत: न्यायियों के दौर में एक वफादार स्त्री की कहानी।
  4. 1 और 2 शमूएल: शमूएल, शाऊल और दाऊद के जीवन और कार्यों का विवरण और इस्राएल में राजाओं का दौर का विवरण।
  5. 1 और 2 राजा: सुलैमान से लेकर यरूशलेम के पतन का विवरण।
  6. 1 और 2 इतिहास: आदम से लेकर इस्राएल के बंधुआई से लौटने तक के इतिहास की पुनः वर्णन।
  7. एज्रा और नहेमायाह: बंधुआई से स्वदेश वापसी और यरूशलेम मंदिर का पुनर्निर्माण।
  8. एस्तेर: फारस में एक यहूदी रानी की कहानी जो अपने संगी लोगों को विनाश से बचाती है।

3. ज्ञान साहित्य और काव्य

अय्यूब, भजन संहिता, नीतिवचन, सभोपदेशक, श्रेष्टगीत। इन पुस्तकों में काव्य, गीत, कहावतें और जीवन और आस्था पर विचार आती पढ़ने को मिलते हैं।

  1. अय्यूब: एक धर्मी व्यक्ति की कहानी जो भारी परक्षाओं में पड़ता है और अत्यनंत दुख झेलकर परमेश्वर की दया प्राप्त करता है।
  2. भजन संहिता: भक्ति व आराधना में उपयोग किए जाने वाले  गीतों और प्रार्थनाओं का संग्रह।
  3. नीतिवचन: बुद्धि और व्यावहारिक जीवन के लिए शिक्षाएँ।
  4. सभोपदेशक: जीवन के अर्थ और पूर्णता की खोज पर चिंतन।
  5. श्रेष्ठगीत: प्रेम और विवाह के आनंद का वर्णन करने वाला एक काव्यात्मक संवाद।

4. बड़े भविष्यद्वक्ता

बड़े भविष्यवक्ता: यशायाह, यिर्मयाह, विलापगीत, यहेजकेल, दानिय्येल

यशायाह: यशायाह यहूदा और यरूशलेम के भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करता है, पाप के लिए परमेश्वर के न्याय और मसीहा के माध्यम से अंतिम बहाली पर जोर देता है।

यिर्मयाह: यिर्मयाह को यहूदा के भविष्यवक्ता के रूप में बुलाया जाता है, जो उनके पापों के कारण आने वाले न्याय की चेतावनी देता है। वह विरोध का सामना करता है लेकिन ईमानदारी से पश्चाताप और आशा के परमेश्वर के संदेशों को सुनाता है।

विलाप: यिर्मयाह यरूशलेम के विनाश पर शोक व्यक्त करता है और यहूदा द्वारा परमेश्वर की अवज्ञा के परिणामों पर गहरा दुख व्यक्त करता है।

यहेजकेल: यहेजकेल बेबीलोन से निर्वासन के दौरान भविष्यवाणी करता है, यरूशलेम पर परमेश्वर के न्याय और भविष्य की बहाली की आशा को व्यक्त करने के लिए ज्वलंत दर्शन और प्रतीकात्मक कार्यों का उपयोग करता है।

दानिय्येल:  दानिय्येल और उसके साथियों के अनुभवों वर्णन मिलता है, जिसमें सपनों और दर्शनों की व्याख्या करना, शेर की मांद से बचना और भविष्य के राज्यों और घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी करना शामिल है।

5. छोटे भविष्यवक्ता

होशे: होशे ने अपने विवाह का उदाहरण देकर इस्राएल की मूर्तिपूजा और विश्वासघात के विरुद्ध भविष्यवाणी की और परमेश्वर के अपने लोगों के साथ संबंध को दर्शाया।

योएल: योएल ने टिड्डियों के प्रकोप के बारे में बताया जो इस्राएल पर परमेश्वर के न्याय के रूप में आया। वह पश्चाताप करने के लिए कहता है और पुनर्स्थापना का वादा करता है।

आमोस: आमोस इस्राएल और उसके आस-पास के देशों में सामाजिक अन्याय और धार्मिक पाखंड की निंदा करता है। वह आने वाले न्याय की चेतावनी देता है, लेकिन पुनर्स्थापना की आशा भी प्रदान करता है।

ओबद्याह: ओबद्याह इस्राएल के विरुद्ध उनके अभिमान और हिंसा के लिए एदोम के विरुद्ध भविष्यवाणी की। वह उनके पतन और इस्राएल की पुनर्स्थापना की भविष्यवाणी करता है।

योना: योना को नीनवे में मन फिराव का प्रचार करने के लिए परमेश्वर की आज्ञा से बचने की कोशिश करने के बाद एक बड़ी मछली द्वारा निगल लिया जाता है। वह अंततः अपना कार्य पूरा करता है, और नीनवे पश्चाताप करता है।

मीका: मीका इस्राएल के नेताओं के बीच भ्रष्टाचार और लोगों के बीच अन्याय की निंदा करता है। वह न्याय की भविष्यवाणी करता है, लेकिन बेथलहम के एक धर्मी राजा के अधीन भविष्य की पुनर्स्थापना का वादा भी करता है।

नहूम: नहूम नीनवे शहर के खिलाफ भविष्यवाणी करता है, उसकी क्रूरता और दुष्टता के कारण उसके विनाश की भविष्यवाणी करता है।

हबक्कूक: हबक्कूक यहूदा में बुराई के कारण परमेश्वर के न्याय पर सवाल उठाता है, लेकिन उसे आश्वासन मिलता है कि परमेश्वर दुष्टों को दंडित करेगा और अंततः उद्धार लाएगा।

सपन्याह: सपन्याह यहूदा को उनकी मूर्तिपूजा और भ्रष्टाचार के कारण आने वाले न्याय के बारे में चेतावनी देता है। वह परमेश्वर के लोगों के भविष्य की बहाली और उद्धार के बारे में भी भविष्यवाणी करता है।

हाग्गै: हाग्गै बंधुवाई से लौटने के बाद यरूशलेम में मंदिर के पुनर्निर्माण को प्रोत्साहित करता है, लोगों से परमेश्वर के घर को प्राथमिकता देने का आग्रह करता है।

जकर्याह: जकर्याह यरूशलेम की बहाली के और आने वाले मसीहा तथा भविष्य की महिमा के बारे में दर्शन और भविष्यवाणियाँ प्रदान करता है।

मलाकी: मलाकी लोगों को उनकी आध्यात्मिक ठंडेपन के बारे में बताता है और याजकों को उनकी लापरवाही के बारे में चेताता है। वह आने वाले दूत के बारे में भी बताता है और पश्चाताप करने का आह्वान करता है।

होशे से मलाकी तक: बारह पुस्तकें, जिनमें से प्रत्येक पुस्तक का नाम भविष्यवक्ता के नाम पर है, जो सामाजिक न्याय, विश्वासयोग्यता और भविष्य की आशा जैसे विभिन्न विषयों पर हैं।

पुराने नियम का ऐतिहासिक संदर्भ

पुराना नियम कई शताब्दियों की अवधि में लिखा गया था, जो प्राचीन इज़राइल और उसके पड़ोसियों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भों को दर्शाता है:

प्राचीन निकट पूर्व
प्राचीन निकट पूर्व (आधुनिक मध्य पूर्व – Middle East)- मेसोपोटामिया, इराक, ईरान और सीरिया, प्राचीन मिस्र, फारस आदि। बहुत सी प्रारंभिक सभ्यताएँ इस ही क्षेत्र में फली फूलीं।

कुलपतियों का समय (2000-1500 ईसा पूर्व)
इस काल में यह लोग खानाबदोश या बंजारों का जीवन जीते थे। ये कबीले मे रहते थे और कबीले के मुखिया या कुलपति होते थे जैसे अब्राहम, इसहाक और याकूब आदि।

निर्गमन और विजय (1500-1200 ईसा पूर्व)
मूसा के अधीन मिस्र की गुलामी से इस्राएलियों की आजादी, सिनाई पर्वत पर व्यवस्था का दिया जाना और यहोशू के अधीन वादा किए देश कनान पर इस्राएलियों की विजय।

4. न्यायी और संयुक्त राजतंत्र (1200-930 ईसा पूर्व)
शाऊल, दाऊद और सुलैमान के अधीन साम्राज्य की स्थापना और यरूशलेम में मंदिर का निर्माण इस काल में हुआ।

विभाजित राजतंत्र (930-586 ईसा पूर्व)
सुलैमान के शासनकाल के बाद, राज्य इज़राइल (उत्तरी राज्य) और यहूदा (दक्षिणी राज्य) में विभाजित हो गया। इस अवधि में राजनीतिक उथल-पुथल, भविष्यवाणियों की गतिविधि और अंततः इज़राइल का असीरिया (722 ईसा पूर्व) और यहूदा का बेबीलोन (586 ईसा पूर्व) में पतन हुआ।

निर्वासन और वापसी (586-332 ईसा पूर्व)
बेबीलोन के निर्वासन ने यहूदी पहचान और धर्मशास्त्र को गहराई से प्रभावित किया। फ़ारसी शासन (539 ईसा पूर्व) के तहत वापसी ने यरूशलेम और मंदिर के पुनर्निर्माण को आरंभ किया, जैसा कि एज्रा और नहेमायाह में वर्णित है।

फ़ारसी और यूनानी काल (332-63 ईसा पूर्व)
पुराना नियम काल के उत्तरार्ध में फ़ारसी और फिर यूनानी (हेलेनिस्टिक) संस्कृति का प्रभाव देखा गया। इस युग में अंतिम भविष्यवाणी पुस्तकें और नए नियम तक पहुँचने वाला काल शामिल है।

पुराने नियम की भौगोलिक परिस्थियाँ

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