🌟अध्याय की झलक: इस अध्याय में यीशु मसीह एशिया की सात मंडलियों में से चार को सीधा संदेश देते हैं — एफिसुस, स्मिर्ना, पर्गमुन और थुआतीरा। हर पत्र में यीशु उनकी भलाई की सराहना करते हैं, गलतियों पर चेतावनी देते हैं, और विजयी होने पर इनाम का वादा करते हैं। यह अध्याय आज भी व्यक्तिगत और कलीसिया के आत्मिक जीवन के लिए गहरी सीख देता है।
🔹1-7 पद: एफिसुस – पहला प्रेम छोड़ने की चेतावनी
यीशु एफिसुस की मंडली की मेहनत, सहनशीलता और झूठे प्रेरितों के खिलाफ discernment की सराहना करते हैं।
लेकिन वह शिकायत करते हैं कि उन्होंने अपना “पहला प्रेम” छोड़ दिया है।
उन्हें पश्चाताप करने और प्रारंभिक प्रेम को फिर से प्राप्त करने का आदेश दिया जाता है।
विजयी व्यक्ति को जीवन के वृक्ष का फल खाने का वादा है।
❤️सीख: सेवा से बढ़कर परमेश्वर प्रेम चाहता है — बिना प्रेम के हमारी मेहनत व्यर्थ है।
🔹8-11 पद: स्मिर्ना – क्लेश और मृत्यु में विश्वासयोग्यता
स्मिर्ना मंडली को उनके क्लेश, गरीबी (लेकिन आत्मिक धन), और विरोध के बीच हिम्मत बँधाई जाती है।
यीशु उन्हें कहता है — “मौत तक विश्वासयोग्य रहो, तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूँगा।”
जो विजयी होगा, उसे दूसरी मृत्यु की हानि नहीं होगी।
👑सीख: सच्चा विश्वास परीक्षण में परखा जाता है — और विजय अनंत जीवन लाती है।
🔹12-17 पद: पर्गमुन – सत्य और समझौते के बीच संघर्ष
पर्गमुन मंडली “शैतान के सिंहासन” के बीच वफ़ादारी बनाए हुए थी।
लेकिन कुछ लोग बालाम के सिद्धांत और निकुलाइयों के कामों को अपनाए हुए थे — यानी समझौता और भ्रष्टाचार।
यीशु चेतावनी देते हैं कि यदि वे पश्चाताप नहीं करेंगे, तो वह “अपने मुँह की तलवार” से युद्ध करेगा।
विजयी को “छिपा हुआ मन्ना” और एक नया नाम लिखा हुआ श्वेत पत्थर मिलेगा।
⚔️सीख: कठिन स्थानों में भी हमें सत्य के प्रति निष्ठावान रहना है, बिना समझौते के।
🔹18-29 पद: थुआतीरा – प्रेम तो है, लेकिन समझौता भी
थुआतीरा मंडली में प्रेम, विश्वास, सेवा और धीरज की बढ़ोतरी थी।
लेकिन एक गंभीर दोष था — वे “येज़ेबेल” नामक एक झूठी भविष्यद्वक्ता को सहन कर रहे थे, जो व्यभिचार और मूर्तिपूजा सिखा रही थी।
यीशु गहरी जाँच करेगा और हृदयों के भावों को परखेगा।
जो विजयी होंगे और अंत तक उसके कार्यों को करेंगे, उन्हें राष्ट्रों पर अधिकार मिलेगा और “भोर का तारा” दिया जाएगा।
🌟सीख: केवल बाहरी भलाई काफी नहीं — भीतरी पवित्रता भी परमेश्वर के लिए आवश्यक है।
✅इस अध्याय से क्या सिखें? ✝️पहला प्रेम परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते की नींव है। ✝️क्लेशों में भी विश्वासयोग्यता अमूल्य है। ✝️सत्य पर समझौता करना आत्मिक क्षति लाता है। ✝️परमेश्वर हृदयों की गहराई से परखता है, बाहरी कार्यों से नहीं।
📌याद रखने योग्य वचन “जो जीत पाएगा, मैं उसे जीवन के वृक्ष में से खाने दूँगा जो परमेश्वर के स्वर्ग में है।” (प्रकाशित वाक्य 2:7)