🌟अध्याय की झलक: इस अध्याय में यीशु तीन अंतिम मंडलियों — सर्दिस, फिलदेलफिया, और लौदीकिया — को संदेश भेजते हैं। ये संदेश आत्मिक अवस्था को जाँचने, जागने, और सही स्थिति में लौटने की गहन चुनौती देते हैं। हर मंडली के लिए इनाम विजयी होने पर सुनिश्चित किया गया है।
🔹1-6 पद: सर्दिस – मृत प्रतीत होती मंडली को जागने की चेतावनी
सर्दिस की मंडली के पास “जीवित” कहलाने की ख्याति थी, लेकिन वह वास्तव में आत्मिक रूप से मृत थी।
यीशु उन्हें जागने, बचे हुए को मजबूत करने और पश्चाताप करने का निर्देश देते हैं।
यदि वे नहीं जागे, तो वह चोर की तरह अचानक आएगा।
कुछ लोगों ने अपने वस्त्र निष्कलंक रखे हैं — उन्हें सफेद वस्त्र पहनाए जाएंगे।
⏰ सीख: केवल बाहरी नाम और प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि जीवित विश्वास परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है।
🔹7-13 पद: फिलदेलफिया – धैर्य और विश्वास के लिए प्रशंसा
यीशु, “दाऊद की कुंजी” धारण करने वाले, फिलदेलफिया की मंडली को एक “खुला हुआ द्वार” देता है।
उन्होंने थोड़ी शक्ति के बावजूद, परमेश्वर के वचन को थामे रखा और उसका नाम नहीं झुठलाया।
यीशु उन्हें “परिक्षा के समय” से बचाने का वादा करते हैं।
विजयी व्यक्ति को परमेश्वर के मन्दिर में स्थायी स्तम्भ बनाया जाएगा।
🔑सीख: धैर्य और वचन के प्रति निष्ठा स्थायी इनाम लाती है — स्वर्ग में स्थायित्व।
🔹14-22 पद: लौदीकिया – गुनगुनेपन और आत्मनिर्भरता की निंदा
लौदीकिया की मंडली आत्मनिर्भर, धनवान और संतुष्ट थी, लेकिन वास्तव में आत्मिक दृष्टि से गरीब, अंधी और नग्न थी।
यीशु ने उन्हें गुनगुनेपन के लिए उलाहना दी — न ठंडे थे, न गरम।
वह प्रेमपूर्वक ताड़ना देते हैं और उन्हें आग में तपाए हुए सोना, श्वेत वस्त्र और आँखों के लिए मरहम खरीदने का आग्रह करते हैं।
वह दरवाज़े पर खड़ा होकर दस्तक देता है — जो खोलेगा, उसके साथ वह भोजन करेगा।
विजयी को उसके साथ सिंहासन पर बैठने का वादा है।
🔥सीख: आत्मनिर्भरता घातक है — हमें यीशु की उपस्थिति और सहायता की सदा आवश्यकता है।
✅इस अध्याय से क्या सिखें? ✝️ आत्मिक मृत अवस्था से जागना आवश्यक है। ✝️ कठिनाइयों में भी विश्वास और धैर्य से परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ प्राप्त होती हैं। ✝️ आत्मिक गर्व और आत्मनिर्भरता से सावधान रहना चाहिए। ✝️ यीशु आज भी हमारे हृदय के द्वार पर दस्तक दे रहा है — क्या हम उसे प्रवेश देंगे?
📌याद रखने योग्य वचन “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोले, तो मैं उसके पास भीतर जाकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।” (प्रकाशित वाक्य 3:20)