🌟अध्याय की झलक: यह अध्याय हमें सीधा स्वर्ग के सिंहासन कक्ष में ले जाता है, जहाँ परमेश्वर अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट होता है। यहाँ हर चीज प्रतीकात्मक है — स्वर्ग के दृश्य, जीवों का वर्णन, 24 प्राचीनों की आराधना — जो परमेश्वर की महिमा, शक्ति और अनंत राज्य को दर्शाते हैं।
🔹1 पद: एक द्वार और एक आवाज़
यूहन्ना देखता है कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है।
उसे वही आवाज़ बुलाती है जो पहले तुरही के समान थी — “इधर आ और मैं तुझे दिखाऊँगा कि इसके बाद क्या होगा।”
प्रतीक:
खुला द्वार — परमेश्वर के रहस्यों में प्रवेश का निमंत्रण।
तुरही की आवाज़ — दिव्य अधिकार और बुलाहट का संकेत।
🕊️ सीख: जब परमेश्वर बुलाता है, वह हमें अपने गहरे रहस्यों और महिमा में प्रवेश करने का अवसर देता है।
🔹2-3 पद: सिंहासन और उसका दर्शन
यूहन्ना तुरंत आत्मा में पहुँचा।
उसने एक सिंहासन देखा जिस पर कोई बैठा था।
वह जो बैठा था, वह यशब और पद्मराग (कीमती पत्थरों) के समान चमक रहा था।
सिंहासन के चारों ओर पन्ना (emerald) के समान इंद्रधनुष था।
प्रतीक:
सिंहासन — परमेश्वर का सर्वोच्च अधिकार और सार्वभौमिक शासन।
यशब और पद्मराग — परमेश्वर की पवित्रता और न्याय।
इंद्रधनुष — परमेश्वर की वाचा और करुणा का प्रतीक (उत्पत्ति 9:13-17 से लिंक)।
👑सीख: परमेश्वर न्यायी है, फिर भी उसकी करुणा वाचा के रूप में स्थिर रहती है।
🔹4 पद: चौबीस प्राचीन
सिंहासन के चारों ओर 24 सिंहासन थे, और उन पर 24 प्राचीन सफेद वस्त्रों में और सिर पर स्वर्ण मुकुट पहनकर बैठे थे।
प्रतीक:
24 प्राचीन — सम्भवत: यह 12 इस्राएल के गोत्रों और 12 प्रेरितों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मिलकर परमेश्वर की सम्पूर्ण जनता (पुराना और नया नियम) को दर्शाते हैं।
सफेद वस्त्र — धार्मिकता और शुद्धता।
स्वर्ण मुकुट — विजयी जीवन और राजसी सम्मान।
👥सीख: परमेश्वर के सामने खड़े होने का अधिकार उनके उद्धार पाने वालों को दिया जाता है।
🔹5 पद: बिजली, गरज और स्वर्ग की सात आत्माएँ
सिंहासन से बिजलियाँ चमकीं, आवाज़ें और गरज निकलीं।
सात अग्नि दीपक सिंहासन के सामने जल रहे थे, जो परमेश्वर की सात आत्माएँ थीं।
प्रतीक:
बिजली और गरज — परमेश्वर की शक्ति और न्याय का प्रदर्शन।
सात दीपक — पवित्र आत्मा की परिपूर्णता और सात गुणों का प्रतीक (यशायाह 11:2: बुद्धि, समझ, परामर्श, सामर्थ्य, ज्ञान, भय, भक्ति, आदर)।
🔥सीख: परमेश्वर की उपस्थिति में सामर्थ्य, न्याय और पवित्रता का वातावरण है।
🔹6-8 पद: चार जीवित प्राणी
सिंहासन के चारों ओर चार जीवित प्राणी थे, जिनमें से हर एक का अलग रूप था:
पहला जीव सिंह के समान,
दूसरा बैल के समान,
तीसरा मनुष्य के चेहरे वाला,
चौथा उड़ते हुए गरुड़ के समान।
हर प्राणी के छह पंख थे और वह भीतर और बाहर आँखों से भरा था।
वे दिन-रात कहते हैं: “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान है।”
प्रतीक:
चार जीवित प्राणी — सम्पूर्ण सृष्टि के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व:
सिंह — शक्ति और शासन,
बैल — सेवा और बलिदान,
मनुष्य — बुद्धिमत्ता और संबंध,
गरुड़ — तीव्रता और स्वर्गीय गति।
छह पंख — कार्य में तत्परता और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता।
आँखों से भरे होना — परमेश्वर की सर्वज्ञता और सम्पूर्ण दृष्टि।
🦁🐂👨🦅सीख: सारी सृष्टि का परम उद्देश्य है परमेश्वर की आराधना करना।
🔹9-11 पद: प्राचीनों की आराधना
जब भी चार जीवित प्राणी परमेश्वर की महिमा, आदर और धन्यवाद करते हैं,
तो 24 प्राचीन अपने मुकुट सिंहासन के सामने डालते हैं और कहते हैं:
“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तूने सब वस्तुएँ उत्पन्न कीं और वे तेरी इच्छा से थीं और उत्पन्न हुईं।”
प्रतीक:
मुकुट डालना — परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण और उसकी सर्वोच्चता को स्वीकार करना।
👑सीख: सच्ची आराधना में हम अपने सारे अधिकार और सम्मान परमेश्वर के चरणों में अर्पित कर देते हैं।
✅इस अध्याय से क्या सिखें? ✝️परमेश्वर का सिंहासन सर्वोच्च और पवित्र है। ✝️सब कुछ उसकी इच्छा से अस्तित्व में आया है। ✝️स्वर्ग में निरंतर आराधना होती है — हम भी पृथ्वी पर ऐसा जीवन जियें। ✝️सभी प्रतीक हमें परमेश्वर की महिमा, न्याय, करुणा और महानता की ओर इशारा करते हैं।
📌याद रखने योग्य वचन “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान, जो था और जो है और जो आने वाला है।” (प्रकाशित वाक्य 4:8)