🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय हमें सीधा स्वर्ग के सिंहासन कक्ष में ले जाता है, जहाँ परमेश्वर अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट होता है।
यहाँ हर चीज प्रतीकात्मक है — स्वर्ग के दृश्य, जीवों का वर्णन, 24 प्राचीनों की आराधना — जो परमेश्वर की महिमा, शक्ति और अनंत राज्य को दर्शाते हैं।
🔹 1 पद: एक द्वार और एक आवाज़
प्रतीक:
🕊️ सीख: जब परमेश्वर बुलाता है, वह हमें अपने गहरे रहस्यों और महिमा में प्रवेश करने का अवसर देता है।
🔹 2-3 पद: सिंहासन और उसका दर्शन
प्रतीक:
👑 सीख: परमेश्वर न्यायी है, फिर भी उसकी करुणा वाचा के रूप में स्थिर रहती है।
🔹 4 पद: चौबीस प्राचीन
प्रतीक:
👥 सीख: परमेश्वर के सामने खड़े होने का अधिकार उनके उद्धार पाने वालों को दिया जाता है।
🔹 5 पद: बिजली, गरज और स्वर्ग की सात आत्माएँ
प्रतीक:
🔥 सीख: परमेश्वर की उपस्थिति में सामर्थ्य, न्याय और पवित्रता का वातावरण है।
🔹 6-8 पद: चार जीवित प्राणी
प्रतीक:
🦁🐂👨🦅 सीख: सारी सृष्टि का परम उद्देश्य है परमेश्वर की आराधना करना।
🔹 9-11 पद: प्राचीनों की आराधना
“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तूने सब वस्तुएँ उत्पन्न कीं और वे तेरी इच्छा से थीं और उत्पन्न हुईं।”
प्रतीक:
👑 सीख: सच्ची आराधना में हम अपने सारे अधिकार और सम्मान परमेश्वर के चरणों में अर्पित कर देते हैं।
✅ इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर का सिंहासन सर्वोच्च और पवित्र है।
✝️ सब कुछ उसकी इच्छा से अस्तित्व में आया है।
✝️ स्वर्ग में निरंतर आराधना होती है — हम भी पृथ्वी पर ऐसा जीवन जियें।
✝️ सभी प्रतीक हमें परमेश्वर की महिमा, न्याय, करुणा और महानता की ओर इशारा करते हैं।
📌 याद रखने योग्य वचन
“पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान, जो था और जो है और जो आने वाला है।”
(प्रकाशित वाक्य 4:8)

