1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
रोमियों की पुस्तक नया नियम में सबसे महत्वपूर्ण पत्रियों में से एक है। यह पौलुस प्रेरित का लिखा गया पत्र है, जो विश्वास के द्वारा धार्मिकता, उद्धार और मसीही जीवन के सिद्धांतों को विस्तार से समझाता है।
लेखक:
पौलुस प्रेरित (रोमियों 1:1)
लिखने का समय:
लगभग 56-58 ईस्वी
मुख्य उद्देश्य:
यह स्पष्ट करना कि उद्धार केवल विश्वास के द्वारा संभव है, न कि कर्मों से।
यहूदियों और अन्यजातियों के लिए सुसमाचार की समानता को दिखाना।
मसीही जीवन की नैतिकता और आत्मिक नियमों को समझाना।
2️ मुख्य विषय (Themes of Romans)
धार्मिकता केवल विश्वास से प्राप्त होती है।
मनुष्य की पापमय स्थिति और उद्धार की आवश्यकता।
यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह।
यहूदियों और अन्यजातियों के लिए समान उद्धार।
पवित्र आत्मा के द्वारा नया जीवन।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Romans)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | मनुष्य का पाप और परमेश्वर का न्याय | 1-3 |
भाग 2 | विश्वास के द्वारा धार्मिकता | 4-5 |
भाग 3 | पवित्र आत्मा के द्वारा नया जीवन | 6-8 |
भाग 4 | यहूदियों और अन्यजातियों के लिए उद्धार | 9-11 |
भाग 5 | मसीही जीवन का व्यवहारिक पहलू | 12-16 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ और शिक्षाएँ (Key Teachings in Romans)
रोमियों 1:16-17 – “सुसमाचार हर एक विश्वास करने वाले के लिए परमेश्वर की शक्ति है।”
रोमियों 3:23 – “सब ने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से रहित हो गए।”
रोमियों 5:8 – “मसीह हमारे लिए मरा, जब हम पापी ही थे।”
रोमियों 6:23 – “पाप की मजदूरी मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान अनन्त जीवन है।”
रोमियों 8:1 – “जो मसीह यीशु में हैं, उन पर अब दण्ड की आज्ञा नहीं।”
रोमियों 10:9-10 – “यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु कहे और अपने मन से विश्वास करे, तो तू उद्धार पाएगा।”
रोमियों 12:1-2 – “अपनी देह को जीवित बलिदान कर दो… अपने मन के नये हो जाने से रूपांतरित हो जाओ।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Romans)
परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास से प्राप्त होती है।
मनुष्य स्वयं को बचाने में असमर्थ है, उद्धार केवल मसीह में है।
पवित्र आत्मा नया जीवन प्रदान करता है।
मसीही विश्वासी को संसार के अनुरूप नहीं बनना चाहिए।
मसीही प्रेम और नम्रता का पालन करें।
6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in Romans)
पौलुस प्रेरित – इस पत्री के लेखक और मसीह के प्रेरित।
अब्राहम – विश्वास का पिता, जो परमेश्वर की धार्मिकता का उदाहरण है (रोमियों 4)।
आदम – जिसका पाप सब मनुष्यों में आया, और यीशु जिसे दूसरा आदम कहा गया (रोमियों 5:12-21)।
फीबे – जो पौलुस की सहायक थी और संभवतः इस पत्र को रोम तक ले गई (रोमियों 16:1-2)।
7️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in Romans)
रोमियों 1:2-4 – यीशु के विषय में भविष्यद्वाणियाँ।
रोमियों 3:21-26 – मसीह के बलिदान के द्वारा धार्मिकता।
रोमियों 5:6-11 – मसीह के द्वारा मेल-मिलाप।
रोमियों 10:13 – “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।”
8️ निष्कर्ष (Conclusion)
रोमियों की पुस्तक मसीही विश्वास की नींव रखती है। यह बताती है कि उद्धार केवल अनुग्रह और विश्वास के द्वारा संभव है, न कि मनुष्य के कर्मों से। यह हमें पवित्र आत्मा के द्वारा नया जीवन जीने की प्रेरणा देती है और मसीही नैतिकता का मार्गदर्शन करती है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ रोमियों 3:23 के अनुसार, हर व्यक्ति की आध्यात्मिक स्थिति क्या है?
2️ पौलुस के अनुसार उद्धार किस प्रकार प्राप्त होता है? (रोमियों 10:9-10)
3️ रोमियों 8 में पवित्र आत्मा के क्या कार्य बताए गए हैं?
4️ रोमियों 12:1-2 के अनुसार मसीही जीवन में क्या परिवर्तन आवश्यक है?