व्यवस्था को समझने के लिए क्या और कैसे पढ़ें?

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यदि आप बाइबल की व्यवस्था (Law) को गहराई से समझना चाहते हैं, तो लैव्यव्यवस्था (Leviticus) और व्यवस्थाविवरण (Deuteronomy) सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं। लेकिन इनके अलावा निर्गमन (Exodus) और गिनती (Numbers) भी पढ़ना आवश्यक है।


बाइबल की व्यवस्था को समझने के लिए आवश्यक पुस्तकें

  1. निर्गमन (Exodus) – व्यवस्था का आरंभ
    • अध्याय 20: दस आज्ञाएँ (Ten Commandments)
    • अध्याय 21-23: नागरिक और नैतिक व्यवस्थाएँ
    • अध्याय 25-40: मन्दिर (तम्बू) और याजक सेवा
  2. लैव्यव्यवस्था (Leviticus) – पवित्रता और याजकीय व्यवस्था
    • अध्याय 1-7: बलिदान और चढ़ावों के नियम
    • अध्याय 8-10: याजकों के नियम
    • अध्याय 11-15: शुद्ध और अशुद्ध चीज़ें
    • अध्याय 16: प्रायश्चित का दिन (Day of Atonement)
    • अध्याय 17-27: नैतिक और सामाजिक व्यवस्थाएँ
  3. गिनती (Numbers) – इस्राएल की यात्रा और आज्ञाकारिता
    • अध्याय 1-10: इस्राएल की गिनती और शिविर का क्रम
    • अध्याय 11-21: जंगल में इस्राएल का विद्रोह
    • अध्याय 22-36: प्रतिज्ञात देश में प्रवेश की तैयारी
  4. व्यवस्थाविवरण (Deuteronomy) – व्यवस्था की पुनरावृत्ति और विस्तार
    • अध्याय 1-4: पिछली घटनाओं का पुनरावलोकन
    • अध्याय 5-11: व्यवस्था और परमेश्वर से प्रेम
    • अध्याय 12-26: धार्मिक, नागरिक और नैतिक नियम
    • अध्याय 27-30: आशीष और श्राप
    • अध्याय 31-34: मूसा का अंतिम उपदेश और मृत्यु

व्यवस्था को सही तरीके से कैसे पढ़ें?

  1. व्यवस्था को ऐतिहासिक संदर्भ में समझें
    • परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाने के बाद उन्हें एक पवित्र राष्ट्र बनाने के लिए ये व्यवस्थाएँ दीं।
    • व्यवस्थाएँ केवल सख्त नियम नहीं थीं, बल्कि इस्राएल को एक आशीषित और पवित्र जीवन जीने का तरीका सिखाती थीं
  2. नैतिक, नागरिक और धार्मिक व्यवस्थाओं में अंतर समझें
    • नैतिक व्यवस्था (Moral Law): हमेशा लागू होती हैं (जैसे दस आज्ञाएँ – निर्गमन 20)
    • नागरिक व्यवस्था (Civil Law): इस्राएल के लिए विशिष्ट थी (जैसे संपत्ति के नियम)।
    • धार्मिक व्यवस्था (Ceremonial Law): मसीह में पूरी हुई (बलिदान, याजक सेवा, आदि – लैव्यव्यवस्था 1-7)
  3. यीशु मसीह और व्यवस्था का संबंध समझें
    • यीशु ने कहा, “यह न समझो कि मैं व्यवस्था या भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूँ; लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ।” (मत्ती 5:17)
    • मसीह के बलिदान के कारण, धार्मिक (ceremonial) व्यवस्था अब पालन करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन नैतिक व्यवस्था आज भी लागू है।
  4. व्यवस्थाविवरण को नए नियम से जोड़कर पढ़ें
    • निर्गमन 20:13 – “हत्या न करना” मत्ती 5:21-22 में यीशु ने इसे हृदय की भावना से जोड़ा।
    • लैव्यव्यवस्था 19:18 – “अपने पड़ोसी से प्रेम करो” मत्ती 22:37-40 में यीशु ने इसे सबसे बड़ी आज्ञा बताया।
  5. अध्ययन करने के लिए सही संसाधन चुनें

निष्कर्ष

व्यवस्था (Law) को समझने के लिए आपको निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती और व्यवस्थाविवरण को ऐतिहासिक और आत्मिक रूप से पढ़ना होगा। यीशु मसीह ने व्यवस्था को पूरा किया, इसलिए हमें इसे पुराने नियम के प्रकाश में और नए नियम की समझ के साथ पढ़ना चाहिए

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