नरक के विषय में विस्तार से सीखें | The Doctrine of Hell

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Docrine of Hell in detail

बाइबल में नर्क के नाम :

पुराने नियम में नर्क के लिए जो नाम प्रयोग किया गया है वह है शिओल (Sheol); नए नियम में इसे हेडिस (Hades – meaning “unseen”) या गेहेना Gehenna – the Valley of Hinnom”) कहा गया है। शिओल को “pit ( गढहा )” या “कब्र” भी कहा गया है। शिओल और हादेस दोनों ही न्याय से पहले पीड़ा, कष्ट व सताव का सथान है। (भजन 9:17; प्रकाशित वाक्य 1:18). गेहेना उस स्थान को कहा गया है जहां अनंतकाल के लिए दंड भुगतना होता है। (मरकुस 9:43).

नर्क किस जगह पर है:

नर्क पृथ्वी के निचले स्थान में या पृथ्वी के केंद्र में अत्यंत गहराई पर है। लुका 10:15: “और हे कफरनहूम, क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा? तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा।” और 1 शमूएल 28:13-15, राजा ने उससे कहा, मत डर; तुझे क्या देख पड़ता है? स्त्री ने शाऊल से कहा, मुझे एक देवता पृथ्वी में से चढ़ता हुआ दिखाई पड़ता है।” इफिसियों 4:9 (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था।”

नर्क में क्या है और यहाँ किस प्रकार की पीड़ा है:

1. परमेश्वर से अनन्त आलगाव (Eternal Separation from God)

2 थिस्सलुनीकियों 1:9: “वे सदा विनाश की सज़ा पायेंगे और प्रभु की उपस्थिति से और उसकी महिमा की शक्ति से अलग हो जायेंगे।”

परमेश्वर और उसकी महिमा की उपस्थिति से अनन्त अलगाव।

अनन्त दण्ड (Eternal Punishment)

मत्ती 25:46: “तब वे अनन्त दण्ड की ओर जाएंगे, परन्तु धर्मी अनन्त जीवन की ओर।”

नरक अनन्त दण्ड का स्थान है।

कभी न बुझने वाली आग (Unquenchable Fire)

मरकुस 9:43: “यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल; टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिए इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक में, उस आग में डाला जाए, जो कभी नहीं बुझती।”

नरक कभी न बुझने वाली आग का स्थान है।

घोर अंधकार (Darkness)

मत्ती 8:12: “परन्तु राज्य के सन्तान बाहर अन्धकार में डाले जाएंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।”

नरक बाहरी अंधकार का स्थान है।

रोना और दांत पीसना (Weeping and Gnashing of Teeth)

मत्ती 13:42: “और उन्हें आग के कुंड में डाल देंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।”

नरक में तीव्र पीड़ा है, जिसे रोना और दांत पीसना द्वारा व्यक्त किया गया है।

जलती हुई भट्ठी (Blazing Furnace)

मत्ती 13:50: “और उन्हें आग की भट्ठी में डाल देंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।”

नरक को जलती हुई भट्ठी के रूप में वर्णित किया गया है।

अनन्त विनाश (Everlasting Destruction)

2 थिस्सलुनीकियों 1:9: “वे सदा विनाश की सज़ा पायेंगे और प्रभु की उपस्थिति से और उसकी महिमा की शक्ति से अलग हो जायेंगे।”

परमेश्वर की उपस्थिति से दूर अनन्त विनाश का स्थान

जहां कीड़ा नहीं मरता (Worms that Do Not Die)

मरकुस 9:48: “जहां उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।”

एक स्थान जहां कीड़े नहीं मरते, जो निरंतर क्षय और यातना देते हैँ।

आग की झील (Lake of Fire)

प्रकाशितवाक्य 20:15: “और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया।”

नरक को आग की झील के रूप में वर्णित किया गया है।

दूसरी मृत्यु (Second Death)

प्रकाशितवाक्य 21:8: “परन्तु डरपोकों, अविश्वासियों, घृणितों, हत्यारों, व्यभिचारियों, जादूगरों, मूर्तिपूजकों और सब झूठों का भाग उस झील में होगा जो आग और गन्धक से जलती रहती है; यह दूसरी मृत्यु है।”

दूसरी मृत्यु, जो आग और गन्धक की झील में आत्माओं का डाला जाना है। इस उपरांत अनंत काल का दंड हैँ। पहली मृत्यु शरीर छोड़ना और दूसरी मृत्यु आत्मा का अनंत विनाश है।  

यातना का स्थान (Place of Torment)

लूका 16:23-24: “नरक में उसने कष्ट उठाते हुए अपनी आँखें उठाईं और अब्राहम को दूर से और लाजर को उसकी गोद में देखा। उसने पुकार कर कहा, ‘हे पिता अब्राहम, मुझ पर दया कर और लाजर को भेज दे कि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडा करे, क्योंकि मैं इस आग में अत्यन्त कष्ट उठा रहा हूँ।”

नरक एक सचेत यातना और कष्ट का स्थान है।

गड्ढा (अबीस) (Abyss)

प्रकाशितवाक्य 9:1-2: “पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और मैंने देखा कि एक तारा आकाश से पृथ्वी पर गिरा है। उसे अथाह गड्ढे की कुँजी दी गई। जब उसने उस गड्ढे को खोला, तो उसमें से बड़ी भट्टी का धुआं उठा, और धुएं से सूर्य और आकाश अंधकारमय हो गए।”

नरक को गड्ढे (अबीस) के रूप में वर्णित किया गया है, जो बंदी और अंधकार का स्थान है।

घोर अपमान व तिरस्कार (Everlasting Contempt)

दानिय्येल 12:2: “बहुत से जो भूमि की धूल में सोते हैं, वे जाग उठेंगे, कुछ अनन्त जीवन के लिए, और कुछ लज्जा और अनन्त तिरस्कार के लिए।”

नरक में घोर अनन्त अपमान और तिरस्कार का सामना करना होगा।

नर्क (Hell) मनुष्यों के लिए नहीं बनाया गया था। या श्रापित स्वर्गदूतों के लिए बनाया गया था जिन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध अपराध व बलवा किया था। परमेश्वर ने मनुष्यों को भी समझ, बुद्धि व अपने फैसले खुद लेने का अधिकार दिया है। अतः हम मनुष्यों के लिए भी वही दंड है जो श्रापित स्वर्गदूतों के लिए है यदि मनुष्य भी परमेश्वर को न खोजे और परमेश्वर के वचन पर न चले। मनुष्यों को चाहिए की सच्चे परमेश्वर को खोजें व उनका भय भी मानें और परमेश्वर से अपनी सारी बुद्धि व शक्ति से प्रेम करें जिस से मनुष्यों को अनंतकाल के नर्क का दंड न भुगतना पड़े।

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