भारत देश विभिन्नताओं से भरा है, इस देश में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। यहाँ अधिकतर आबादी जिस धर्म के लोगों की है वो है हिन्दू धर्म (Hinduism)। हिन्दू धर्म एक बहु ईश्वरवादी धर्म है इसमें अनेकों ईश्वर बताए गए हैं। इस धर्म को मानने वाले ये दावा करते हैं की हिन्दू धर्म ही संसार का एक मात्र सच्चा धर्म है जिसमे से दुनिया के बाकी सभी धर्म निकले हैं (oldest religion of the world)। पर क्या यह वाकई में सच है या इसके अनुयायी अपनी श्रद्धा के चलते ऐसा मानते हैं।
हिन्दू धर्म की ही तरह संसार और भी धर्म और सभ्यताएँ हुईं जो बहु ईश्वर वाद (Polytheistic) यानि अनेकों ईश्वरों के सिद्धांत को मानते और उसका पालन करते थे लेकिन वे सभी समय के साथ लुप्त हो गए और जो वर्तमान में बचे हैं वो भी पतन के मार्ग पर हैं।
ऐसी ही एक सभ्यता थी मिस्त्र की सभ्यता। मिस्त्र की सभ्यता में जिन ईश्वरों की उपासना की जाती थी भारत में भी उन्हीं ईश्वरों की उपासना की जाती है। मिस्त्र के समय में उनके नाम और पोशाक अलग थी और अब वर्तमान में हमारे देश में उनके नाम और पोशाक और उनकी कथाएँ अलग हैं। कई हिंदुवादी ये तर्क देते हैं की हिन्दू धर्म इतना महान है की मिस्त्र में इसकी उपासना की जाती थी जोकि बिल्कुल गलत है। यदि इस तर्क को मान भी लें तो इसपे कई सवाल खड़े होते हैं।
इसके अतिरिक्त और भी कारण है जिनसे ये प्रतीत होता है की हिन्दू धर्म सनातन नहीं बल्कि अन्य सभी Polytheistic यानि बहु ईश्वर वादी और लुप्त हो चुकी सभ्यताओं की ही तरह मानव मस्तिष्क की ही उपज है।
यदि आप किसी भी साधारण व्यक्ति से पूछेंगे कि संसार में ईश्वर, अवतार, गुरु, पीर, पैगंबर तो कई हैं पर परमेश्वर कितने हैं तो स्वाभाविक ही हर कोई यही कहेगा की परमेश्वर एक ही है और एक ही हो सकता है अनेक नहीं। इसका अर्थ है मनुष्य के चेतन में परमेश्वर के विषय का ज्ञान हमेशा मौजूद है जैसा बाइबल बताती भी है।
(रोमियो 1:19-20 : इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।)
यहाँ पर बाइबल का यह वचन बताता है परमेश्वर की पहचान जिन गुणों से होती है वो सहृष्टि की रचना के समय से ही सब मनुष्यों के सामने है प्रकट है।
इन सभी सवालों के जवाब हमें हमारी आत्मा में पता है फिर भी हम अनजान बने रहते हैं। यहाँ तक की कोई भी मनुष्य परमेश्वर के सामने ये नहीं कह सकता की किसी ने उसे परमेश्वर के विषय में बताया नहीं।
पर सवाल ये उठता है कि जब सभी की पता है के परमेश्वर एक ही है और तो क्यों लोग उस एक सच्चे परमेश्वर की खोज नहीं करते ? क्यों लोग उस सनातन परमेश्वर के गुणों को नहीं पहचानते बल्कि अनेकों ईश्वरों की उपासना करते हैं? मानव निर्मित ईश्वरों और उनकी मन घडन्त कहानियों से आसानी से संतुष्ट हो जाते हैं ?
क्योंकि बाइबल बताती है संसार के सरदार यानि शैतान ने लोगों की आँखों पर अंधकार और अज्ञानता का पर्दा डाल रखा है।
(परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके। 2 कुरिन्थियों 4:3-4)