जानिए क्या लिखा है वेदों में मूर्ति पूजा के विषय में।

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हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा को बहुत महत्व दिया गया है । अनेकों देवी देवता और उनके अनेकों रूप पाए जाते हैं जिनका वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में लिखा है । इन ग्रंथों में वेदों को सबसे पुराना या प्रथम माना जाता है और सबसे अधिक विश्वसनीय भी, यानी जो वेद में लिखा है वोही सत्य माना जाता है अन्य किसी भी साक्ष्य की अपेक्षा।

हमारे देश में लोगों को मूर्तियों पर बहुत आस्था है और अनेकों मूर्तियां हर रोज़ बनायीं और तोड़ी जाती हैं। पर क्या वास्तव में हिन्दू धर्म में मूर्तिपूजा का प्रावधान है ? आइये सबसे विश्वसनीय स्त्रोत यानि वेदों में देखते हैं मूर्तिपूजा के विषय में क्या लिखा है।

चारों वेदों के 20589 मंत्रों में कोई ऐसा मंत्र नहीं है जो मूर्ति पूजा का पक्षधर हो। वेदों में मूर्ति–पूजा निषिद्ध है अर्थात् जो मूर्ति पूजता है वह वेदों को नहीं मानता ।

नास्तिको वेद निन्दक:
अर्थात् मूर्ति-पूजक नास्तिक हैं।

 


 

अन्धन्तम: प्र विशन्ति येsसम्भूति मुपासते।
ततो भूयsइव ते तमो यs उसम्भूत्या-रता:।
– ( यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 9 )

अर्थ – जो लोग ईश्वर के स्थान पर जड़ प्रकृति या उससे बनी मूर्तियों की पूजा उपासना करते हैं । वह लोग घोर अंधकार ( दुख ) को प्राप्त होते हैं ।

 


 

 

न तस्य प्रतिमाsअस्ति यस्य नाम महद्यस:
( यजुर्वेद अध्याय 32 , मंत्र 3 )

अर्थात- उस ईश्वर की कोई मूर्ति, प्रतिमा नहीं जिसका महान यश है 

 


 

अधमा प्रतिमा पूजा ।
अर्थात् – मूर्ति-पूजा सबसे निकृष्ट है ।

 


 

यष्यात्म बुद्धि कुणपेत्रिधातुके ।
स्वधि … स: एव गोखर: ॥– ( ब्रह्मवैवर्त्त )
अर्थात् – जो लोग धातु , पत्थर , मिट्टी आदि की मूर्तियों में परमात्मा को पाने का विश्वास तथा जल वाले स्थानों को तीर्थ समझते हैं । वे सभी मनुष्यों में बैलों का चारा ढोने वाले गधे के समान हैं ।

 


 

जो जन परमेश्वर को छोड़कर किसी अन्य की उपासना करता है । वह विद्वानों की दृष्टि में पशु ही है।

(शतपथ ब्राह्मण 14/4/2/22 )

 


 

इनके अतिरित्क अन्य बहुत से और भी उदाहरण हैं जो ये सत्यापित करते हैं की मूर्ति पूजा हिन्दू धर्म का अंग कभी भी नहीं रही. तो फिर ये क्यों होती है और जितने धर्म के जानकार हैं वो क्यों नहीं इसके विरुद्ध कुछ बोलते ?
इसका जवाब है क्योंकि मूर्तियों के और इनकी पूजा के द्वारा बहुत ही अधिक मात्रा में धन यानि पैसे की कमाई होती है. और एक खास वर्ग सिर्फ अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए लोगों को भ्रमित करके उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ करता है.

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पवित्र शास्त्र बाइबिल में मूर्ति पूजा को पाप और अपराध बताया है यहां जाकर आप ये लेख पढ़ सकते हैं.

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